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कविता

थकना नहीं

येव्‍गेनी येव्‍तूशेंको

अनुवाद - वरयाम सिंह


हिम्‍मत रखना प्रमथ्‍यु की तरह
जब आग का रहस्‍य चुरा लाया था वह,
थकना नहीं खिलाते-खिलाते
बाज को अपनी कच्‍चा कलेजा।

थकना नहीं, बने रहना अथक,
बने रहना अदम्‍य और निर्बाध,
थकना नहीं भलाई करते रहने से
बने रहना विनम्र और उदार।

दीवानेपन से थकना नहीं
राह दिखाते रहना अपने विवेक को
आत्‍म्‍दहन करने देना जीवन को
पर जलना नहीं पूरी तरह।

थकना नहीं उन अपेक्षाओं में
जो कभी वास्‍तविकता बन न पायेंगी,
थकना नहीं अपने कष्‍टों से
अनुभव करते रहना कष्‍ट दूसरों के।

थकना नहीं उन प्रश्‍नों के उत्‍तर ढूँढ़ने से
जिनके उत्‍तर हैं ही नहीं,
इस निरुत्‍तरता में ही
निहित है उत्‍तर पहले से।

जीवन के बाद होगा एक और जीवन,
पुन: आरंभ होगा यौवन का,
अपनी अथक छाया से
जगाते रहना थके हुओं को।

 


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